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चर्चित मारुति सुज़ुकी इंडिया के वर्करों ने बोगडान सायरोटुक की रिहाई की मांग की

यह आलेख 16 जुलाई 2024, को अंग्रेजी में छपे लेख Framed-up Maruti Suzuki India workers demand release of Bogdan Syrotiuk का हिंदी अनुवाद है।

क़त्ल के साज़िशन मढ़े गए आरोपों में आजीवन कारावास भुगतने वाले मारुति सुज़ुकी इंडिया के दो वर्करों ने एक बयान जारी कर भारत और दुनिया भर के वर्करों से अपील की है कि वे यूक्रेन युद्ध भड़काने वाले नेटो का विरोध करने के लिए आपराधिक मुकदमे और मनमाने तरीक़े से जेल भेजे जाने का सामना कर रहे यूक्रेनी ट्राट्स्कीवादी कॉमरेड बोगडान सायरोटुक की तत्काली रिहाई के लिए आवाज़ उठाएं।

धनराज ने लिखा है, 'पूंजीपति वर्ग ने हम मारुति सुज़ुकी वर्करों को क़त्ल के झूठे आरोपों में फंसा रखा है। इसी तर्ज पर वे कॉमरेड बोगडान को झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।'

अपने बयान में धनराज ने पूरे देश के वर्करों से अपील की है कि वे बोगडान की तत्काल रिहाई की मांग करें। उन्होंने कहा, 'भारतीय मज़दूरों की ओर से मैं कहता हूं कि रूस और यूक्रेन के बीच यह युद्ध बंद होना चाहिए।'

बोगडान सायरोटुक

धनराज की तरह की अमरजीत भी 2012 में गिरफ़्तार होने से पहले हरियाणा के मानेसर में मारुति सुज़ुकी कार असेंबली प्लांट में रैंक एंड फ़ाइल रिबेलियन के एक नेता थे। अमरजीत ने भी कहा कि कॉमरेड बोगडान सायरोटुक का इसलिए उत्पीड़न किया जा रहा है क्योंकि वो सभी युद्ध पिपासु सरकारों और राज्यों के ख़िलाफ़ समाजवादी अंतरराष्ट्रीयतावाद के लिए संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने लिखा, “मैं यूक्रेन की सरकार से मांग करता हूं कि हमारे कॉमरेड को बिना शर्त रिहा करे। बोगडान सायरोटुक ने कुछ भी ग़लत नहीं किया या कहा। उन्होंने सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मज़दूर वर्ग की ख़ातिर लड़ाई लड़ी। उन्होंने मज़दूरों की सत्ता (सोवियतों) के लिए लड़ाई लड़ी और लड़ रहे हैं।“ 

अमरजीत ने वर्करों से अपील की कि वे कॉमरेड बोगडान की रिहाई के संघर्ष के लिए प्रदर्शन और रैलियों का आयोजन करें। “हम मांग करते हैं कि इस युद्ध का अंत होना चाहिए, दोनों देशों में शांति लाई जानी चाहिए और नागरिकों और सामान्य नागरिकों को आगे और नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।“

25 साल के बोगडान की सेहत ठीक नहीं है और उन्हें यूक्रेन के धुर दक्षिणपंथी, अमेरिकी-नेटो समर्थित मार्शल लॉ वाली सरकार ने 25 अप्रैल से ही जेल में बंद कर रखा है। उन पर देशद्रोह के आरोप लगाए गए गए हैं, जिसमें 15 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है, जोकि यूक्रेन की जेलों की भयानक हालत को देखते हुए एक तरह से सज़ाए मौत है। और यह सब एक स्पष्ट रूप से दिखने वाले झूठ पर आधारित है कि वो समाजवादी आधार पर युद्ध का विरोध करते हैं इसलिए रूस के प्रतिक्रियावादी पूंजीवादी सरकार के एक एजेंट हैं।

असल में, कॉमरेड बोगडान यंग गॉर्ड ऑफ़ बोल्शेविक-लेनिनिस्ट संगठन के नेता हैं। यह युवाओं के बीच काम करने वाला संगठन है जो यूक्रेन, रूस और पूर्व सोवियत यूनियन के उन गणराज्यों में सक्रिय है जो इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ फ़ोर्थ इंटरनेशनल, वैश्विक ट्राट्स्कीवादी आंदोलन और वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट के साथ राजनीतिक हमदर्दी रखते हैं। 

जैसा कि डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस ने बोगडान को दोषी ठहराने वाले यूक्रेनी राज्य के दस्तावेजों के सावधानीपूर्वक खंडन के माध्यम से दिखाया है कि, वो नेटो शक्तियों द्वारा भड़काए गए युद्ध और सोवियत संघ के स्टालिनवादी नौकरशाही के विघटन से पैदा हुए प्रतिद्वंद्वी पूंजीवादी मुग़लों का प्रतिनिधित्व करने वाली ज़ेलेंस्की और पुतिन सरकारों के ख़िलाफ़ यूक्रेनी और रूसी मज़दूरों को एकजुट करने के लिए डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस के साथ काम कर रहे थे इसीलिए उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।

उत्पीड़ित मारुति सुज़ुकी के ज़ुझारू मज़दूर अमरजीत। (फ़ोटोः डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस) [Photo: WSWS]

धनराज और अमरजीत उन 13 मारुति सुज़ुकी मज़दूरों में शामिल हैं, जो सुनवाई से पहले पांच साल तक जेल की सज़ा भुगत चुके थे और जिन्हें 2017 में मढ़े गए क़त्ल के आरोपों में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस ने पांच किश्तों में विस्तार से समझाया था कि वे मारुति सुज़ुकी, पुलिस, अदालतों, भारत की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों- कांग्रेस और हिंदू बर्चस्ववादी बीजेपी, और हरियाणा और केंद्र सरकार की व्यापक साज़िश का शिकार बनाए गए थे।

हरियाणा सरकार के विरोध पर और क़रीब एक दशक तक जेल में पहले ही बिता देने के आधार पर हाल ही में अदालतों ने 13 में से ज़िदा बचे 11 लोगों की सज़ा को उनकी अपीलों की लंबी सुनवाई के चलते निलंबित करने का आदेश दे दिया। उनकी रिहाई के चलते हाल ही में डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस, मारुति सुज़ुकी के उत्पीड़ित जुझारू मज़दूरों में से कई के इंटरव्यू ले पाया। 

वे और उनके परिवार लगातार आर्थिक मुश्किलों को सामना कर रहे हैं। मज़दूरों को जेल में दोबारा भेजे जाने का डर सता रहा है क्योंकि भारतीय प्रशासन और भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता कंपनी मारुति सुज़ुकी स्पष्ट रूप से बोगस दिखने के बावजूद फ़र्जी तरीक़े से दिलाई गई उनकी सज़ाओं को थोपने पर अड़े हुए हैं। 

हम मज़दूरों, युवाओं, अकादमिक विद्वानों, कलाकारों और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए देश और दुनिया में संघर्ष कर रहे लोगों से अपील करते हैं कि वो, फंसाए गए मारुति सुज़ुकी वर्करों की साहसिक अपील पर ध्यान दें और कॉमरेड बोगडान की रिहाई के लिए संघर्ष में शामिल हों।

यूक्रेनी प्रशासन को संबोधित बोगडान की तुरंत रिहाई वाली मांग की पेटिशन पर आप हस्ताक्षर कर सकते हैं, अपनी टिप्पणी लिख सकते हैं और बोगडान की रिहाई के संघर्ष में चंदा दे सकते हैं। इसके लिए आप wsws.org/freebogdan जा सकते हैं।

नीचे धनराज और अमरजीत के पूरे बयान को दिया जा रहा हैः

मैं धनराज, एक पीड़ित मारुति सुज़ुकी मज़दूर हूं। कॉमरेड बोगडान सायरोटुक पर मढ़े गए आरोपों और जेल में उन्हें बंद किए जाने का मैं विरोध करता हूंI मैं उनकी जेल से रिहाई की मांग करता हूं और भारतीय मज़दूर वर्ग से अपील करता हूं कि वे उनकी तत्काल रिहाई की मांग करें। भारतीय मज़दूर वर्ग की ओर से, मैं कहता हूं कि रूस और यूक्रेन के बीच यह युद्ध का अंत होना चाहिए। हम मारुति सुज़ुकी मज़दूरों को पूंजीपति वर्ग ने क़त्ल के झूठे आरोपों में फंसा रखा है। इसी तरह वे झूठे आरोपों में कॉमरेड बोगडान को भी फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।

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गुरुवार, 25 अप्रैल को नेटो मालिकों के इशारों पर काम करने वाली यूक्रेन की फ़ासीवादी सरकार ने यूक्रेन की 'सुरक्षा' के नाम पर सीक्रेट पुलिस के माध्यम से समाजवादी कॉमरेड बोगडान सायरोटुक को गिरफ़्तार करा लिया है।

यूक्रेन सरकार के इस कारनामे की मैं कड़ी निंदा करता हूं। मैं यूक्रेन की सरकार से मांग करता हूं कि वो हमारे कॉमरेड की बिना शर्त रिहा करे। बोगडान सायरोटुक ने कुछ भी ग़लत न तो कहा न किया था। उन्होंने जो कुछ किया वो अंतरराष्ट्रीय मज़दूर वर्ग की ख़ातिर किया था। उन्होंने मज़दूरों की सत्ता (सोवियतों) के लिए संघर्ष किया और कर रहे हैं। मज़दूरों को नुकसान से बचाने के लिए हमें इस तरह के मढ़े आरोपों के ख़िलाफ़ लड़ना होगा। यह सबसे बड़ा ज़रूरी काम है, क्योंकि बोगडान की सेहत अच्छी नहीं है। और हमारे कॉमरेड सायरोटुक की रिहाई के लिए मैं फिर से अपील करता हूं।

आपका 

अमरजीत. (मारुति सुज़ुकी का सज़ायाफ़्ता मज़दूर)

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